खजराना गणेश को पहनाई जाएगी 40×40 इंच की स्वदेशी राखी: 21 साल की परंपरा, पहली बार पूरी तरह देशी सामग्री का उपयोग
इंदौर – रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर इंदौर के प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर में इस बार कुछ विशेष होने जा रहा है। पिछले 21 वर्षों से भगवान गणेश के लिए राखी बना रहे पालरेचा परिवार ने इस वर्ष 40×40 इंच की विशाल और पूरी तरह स्वदेशी राखी तैयार की है। यह पहली बार है जब इस राखी को बनाने में किसी भी विदेशी सामग्री का उपयोग नहीं किया गया है।
“ऑपरेशन सिंदूर” और आत्मनिर्भर भारत का संदेश
इस विशेष राखी को “स्वदेशी थीम” पर बनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों से प्रेरित होकर पालरेचा परिवार ने इस वर्ष पूरी तरह देशी सामग्रियों से ही राखी तैयार करने का निश्चय किया। उनका उद्देश्य केवल एक धार्मिक परंपरा का निर्वाह करना नहीं, बल्कि देशवासियों को स्वदेशी अपनाने की प्रेरणा देना भी है।
दो महीने की मेहनत, 22 वर्षों की श्रद्धा
राखी बनाने में लगभग दो महीने का समय लगा। पालरेचा परिवार के हर सदस्य ने इसमें अपनी भूमिका निभाई — कोई डिजाइन पर, कोई सजावट पर, और कोई सामग्री जोड़ने में। यह परंपरा 12 इंच की राखी से शुरू हुई थी, जो अब 40×40 इंच तक पहुंच गई है।
परिवार के मुखिया पुंडरीक पालरेचा ने बताया कि वे राखी बनाने से पहले खजराना गणेश के दर्शन करने अवश्य जाते हैं। उन्हें राखी की डिज़ाइन की प्रेरणा वहीं मंदिर में भगवान के सामने बैठकर मिलती है।
इस साल की राखी में उपयोग की गई स्वदेशी सामग्री:
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गत्ता और फोम
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सलमा-सितारा, जरदोज़ी
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रुद्राक्ष और मांगरोल सुपारी (सोने की बरक लगी हुई)
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कपड़े से बने पान
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रेशमी फुंदे और बारीक मोती
इन सामग्रियों के जरिए राखी को भव्य और आकर्षक रूप दिया गया है। इससे पहले भी यह परिवार ‘कल्पवृक्ष’, ‘भारत विश्वगुरु बने’ जैसी थीमों पर राखी बना चुका है।
खजराना ही नहीं, कई मंदिरों में जाती है भगवान की राखी
खजराना गणेश के अलावा यह परिवार चिंतामण गणेश, मणिभद्र जी, और वीर अलीजा सरकार जैसे 6-7 अन्य मंदिरों में भी भगवान के लिए राखियां बनाता है। हालांकि, इन मंदिरों के लिए तैयार की गई राखियों का आकार छोटा होता है।
राखी से पहले पहुंचा दी जाती है सामग्री
रक्षा बंधन से एक दिन पहले ही मंदिर में राखी और भगवान के श्रृंगार
